बड़े शहरों से कूच का वक्त आया? अरबपति नितिन कामथ की राय- स्थायी हो वर्क फ्राॅम होम व्यवस्था

कोरोना महामारी कई सबक दे रही है। इसने हर व्यक्ति को प्रभावित किया है, चाहे वह अरबपति हो या गरीब। सब सोचने और भविष्य की तैयारी में जुट गए हैं। ऐसे में देश की बड़ी शेयरब्रोकिंग कंपनी जिरोधा के प्रमुख व अरबपति कारोबारी नितिन कामथ की राय आई है कि अब भारत के बड़े शहरों से कूच करने और स्थाई रूप से वर्क फ्राॅम होम की व्यवस्था का वक्त आ गया है। क्या सचमुच ऐसा संभव है? इसे लेकर सभी की अपनी राय हो सकती है, पर आइये जानते हैं नितिन कामथ क्या कह रहे हैं-

नितिन कामथ ने सोशल मीडिया प्लेटफाॅर्म ट्विटर पर कोरोना से उपजे हालात व भावी तैयारी को लेकर अपने विचार साझा किए हैं। उनका कहना है कि बड़े शहरों का दमघुट रहा है। हमने देखा है हर चुनौती के वक्त ये ठप हुए हैं। आज कोविड-19 संकट है, लेकिन पहले पानी का संकट, भारी आबादी, प्रदूषण, बाढ़, खाने-पीने के सामान की किल्लत से भी ये जूझते रहते हैं। ऐसे में छोटे कस्बों व गांवों की ओर जाकर वहां भी जीवन जिया जा सकता है। इससे कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आएगी।

 

शुरू हो चुका है सिलसिला
जिरोधा के प्रमुख का कहना है कि महानगरों से छोटे शहरों व गांवाों की ओर लौटने का सिलसिला शुरू हो चुका है। जितना हो सके अधिकाधिक कर्मचारियों को स्थाई रूप से अपने घरों से काम करने वर्क फ्राॅम होम की इजाजत दी जा सकती है। हमारी कंपनी की कस्मटर सपोर्ट टीम के लिए ऐसे कर्मचारियों को नियुक्त कर रहे हैं, जो घर से ही काम कर सकें। जल्द ही अन्य कामों के लिए ऐसी टीम जुटाएंगे। मैं सोचता हूं कि अन्य कारोबारी क्षेत्रों के लिए भी कर्मचारियों की ऐसी टीमें जुटाई जा सकती हैं।

जोहो के संस्थापक श्रीधर वेंबु लंबे समय से कह रहे यह बात
नितिन कामथ की ही यह राय नहीं है, उनके अलावा जोहो के संस्थापक श्रीधर वेंबू भी लंबे समय से यही बात कह रहे हैं। वेंबु तमिलनाडु के एक छोटे से गांव मथालंपराई में पहले ही शिफ्ट हो गए हैं। वे वहीं से जोहो का संचालन कर रहे हैं।

हजारों कर्मचारी घर लौटे
बता दें, कोविड-19 महामारी के कारण देश के महानगरों से हजारों कर्मचारी अपने शहरों को लौट चुके हैं। वे अपने-अपने गृह नगर से ही कामकाज कर रहे हैं। इसी दौरान वर्क फ्राॅम होम कल्चर को बढ़ावा मिला है। जो शहर महामारी के सबसे पहले शिकार हुए, वहां ऐसा ज्यादा हुआ है।

जोमैटो व ओयो भी स्थाई रूप से कर रहे यह व्यवस्था
डब्ल्यूएचएफ की व्यवस्था को कामयाब होते देख कई अन्य कंपनियां-जैसे फूड डिलिवरी क्षेत्र की कंपनी जोमैटो व आवास सुविधा प्रदान करने वाली ओयो भी तेजी से इसे बढ़ावा दे रही हैं।

 

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